CDR क्या है? Call details record
CDR यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड!
मोबाइल यूज़ करने वाले का नाम होता है. किसी व्यक्ति की CDR से पता चलता है कि उसने कितने कॉल किए. कितने कॉल रिसीव किए. किन नंबरों पर कॉल किया. किन नंबरों से कॉल रिसीव हुआ. कॉल की डेट, टाइम यानी कितने समय तक बात हुई. किन नंबरों पर मैसेज भेजे गए. किन नंबरों से मैसेज रिसीव हुए. इसकी भी डिटेल होती है.
लेकिन इसका डेटा नहीं होता कि भेजे गए एसएमएस और रिसीव किए गए एसएमएस में क्या लिखा था. सबसे जरूरी बात ये कि CDR से ये भी पता चलता है कि कॉल कहां से की गई. यानी फोन करने वाले की लोकेशन क्या थी. जिसको कॉल किया गया है, उसकी लोकेशन क्या थी. कॉल कैसे कटी? नार्मल तरीके से या कॉल ड्राप हुआ?
क्या हर कोई CDR हासिल कर सकता है?
कानूनी तौर पर तो बिल्कुल नही!नियम कहता है कि एसपी, डीसीपी रैंक का अधिकारी ही जांच में शामिल व्यक्ति की CDR के लिए मोबाइल नेटवर्क सर्विस देने वाली कंपनियों के नोडल ऑफिसर को लिख सकता है. जानकारी मांग सकता है. कोई CDR हासिल कर सकता है?
☆ कानूनी प्रक्रिया के तहत पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकलवा सकती हैं!
जांच एजेंसियों को CDR कब तक मिल जाता है?
अगर कोई गंभीर अपराध हुआ हो, जैसे मामला आतंकी गतिविधियों से संबंधित हो, किसी की हत्या हुई हो, रेप का मामला हो, आरोपी फरार हो, उसे तुरंत गिरफ्तार करने की जरूरत हो, तो मेल मिलने के बाद मोबाइल नेटवर्क सर्विस देने वाली कंपनियां आधे घंटे में CDR उपलब्ध करा देती हैं. सामान्य केस में दो हफ्ते तक का वक्त लग जाता है. आम तौर पर मोबाइल कंपनियां एक साल तक का CDR उपलब्ध कराती हैं. अगर इसके आगे सीडीआर की आवश्यकता होती है, तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से विशेष अनुमति लेनी होती है!